सरायख्वाजा, जौनपुर। पूर्वांचल विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान विभाग द्वारा जल संचयन-जन भागीदारी के अंतर्गत विशेष व्याख्यान का आयोजन हुआ जहां बतौर मुख्य वक्ता इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रयागराज के बायोटेक्नोलॉजी विभाग के प्रो. एमपी सिंह ने जल के महत्व को रेखांकित किया। साथ ही कहा कि जल बचाने की मुहिम में जन भागीदारी जरूरी है। जल को बचाने की जिम्मेदारी हर व्यक्ति की है। उन्होंने कहा कि प्रतिवर्ष पहले की तुलना में कम वर्षा हो रही है। ऐसी स्थिति में हमें कृत्रिम पुनर्भरण संरचनाओं के निर्माण हेतु कार्य करने की जरूरत है। वर्षा ऋतु में आने वाले जल के संरक्षण और उनके सतत प्रबंधन के साथ भूगर्भ जल का कम से कम दोहन करना होगा।
प्रो. सिंह ने बताया कि भारत में प्रति व्यक्ति जल की उपलब्धता 1513 क्यूबिक मीटर संकट को दर्शाता है। जलवायु परिवर्तन के कारण आने वाला समय बहुत ही भयावह होगा। आपदाओं का सामना करना पड़ेगा, नदियों का जलस्तर भी घटेगा। इससे कृषि और पेयजल प्रभावित होगा, इसलिए हमें निरंतर जल संचयन एवं वृक्षारोपण करने की जरूरत है। इन प्रयासों से हम भविष्य की समस्याओं से निजात पा सकेंगे। प्रो. राम नारायण ने वर्षा जल संरक्षण से भूजल स्तर को बढ़ाने के उपायों को सुझाते हुये कहा कि जल स्रोतों के संरक्षण से प्रकृति का संरक्षण होगा।
इस दौरान जल संचयन-जन भागीदारी के नोडल अधिकारी, पर्यावरण विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ. विवेक पाण्डेय ने अतिथियों का स्वागत करते हुए विषय प्रवर्तन किया। इस अवसर पर विज्ञान संकाय के डॉ. एस.पी. तिवारी, डॉ. दीपक कुमार समेत अन्य लोग उपस्थित रहे। धन्यवाद ज्ञापन छात्रा वर्षा यादव ने किया। कार्यक्रम का संचालन अंकिता यादव ने किया।
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