भजन सुनकर श्रोता हुए भाव विभोर
मीरगंज जौनपुर। श्रीमद्भागवत कथा एक अमर कथा है, जो प्राणी इस कथा को सच्चे एव एकाग्र मन से इस कथा का श्रवनपान करता है उसके जीवन में कोई कठिनाई नही आती। सच्चे मन से इस अमर कथा को जो भी जिव सुनते है उनके जीवन में संकट कभी भी नही आता और उनकी कभी अकाल मृत्यु नहीं होती बल्कि उनकी सीधे मुक्ति होती हैं। उक्त वाक्य हरीपुर गांव में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन व्यासपीठ से आचार्य श्री आशु कृष्ण जी महाराज ने अपने सम्बोधन में उपस्थित भक्तो के बीच कही।
हरीपुर गांव में चल रहे कथा के छठवें दिन कथा व्यासपीठ से महाराज ने कहा कि भागवत कथा ही साक्षात कृष्ण है और जो कृष्ण है, वही साक्षात भागवत है। भागवत कथा भक्ति का मार्ग प्रशस्त करती है।भागवत की महिमा सुनाते हुए कहा कि गलती करने के बाद क्षमा मांगना मनुष्य का गुण है, लेकिन जो दूसरे की गलती को बिना द्वेष के क्षमा कर दे, वो मनुष्य महात्मा होता है। जिसके जीवन में श्रीमद्भागवत की बूंद पड़ी, उसके ह्मदय में आनंद ही आनंद होता है। भागवत को आत्मसात करने से ही भारतीय संस्कृति की रक्षा हो सकती है।
भगवान को कहीं खोजने की जरूरत नहीं, वह हम सबके ह्मदय में मौजूद हैं। श्रीमद्भागवत कथा मनुष्य की सभी इच्छाओं को पूरा करती है। यह कथा सुनना और सुनाना दोनों ही मुक्तिदायिनी है तथा आत्मा को मुक्ति का मार्ग दिखाती है।
अपने पितरों की शांति एव पारिवारिक अशांति दूर करने, आर्थिक समृद्धि तथा खुशहाली के लिए इसका आयोजन हर किसी को कराना चाहिए। महाराज ने कहा कि शिष्य को कभी गुरु की व पुत्र को पिता की और भक्त को भगवान की कभी भी परीक्षा नही लेनी चाहिए। कार्यक्रम आयोजक शम्भूनाथ शुक्ला, सुनील शुक्ला, रंगू शुक्ला आये हुए श्रद्धालुओं की सेवाभाव में लगे रहे। इस अवसर पर धनंजय प्रसाद पाठक, पन्नालाल, महिमाकांत दूबे, प्रमोद शुक्ला, सहित अन्य कथा प्रेमी मौजूद रहे।
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