कविता: रफ़्तार

लेखक: अभिषेक उपाध्याय श्रीमंत देवराजपुर, सुल्तानपुर, उ.प्र.।
लेखक: अभिषेक उपाध्याय श्रीमंत


कविता: रफ़्तार


छुक छुक की धुन
के साथ
गाड़ी
पकड़ चुकी थी रफ्तार 
क्योंकि
उसी में उसकी 
जीवंतता थी 
रफ्तार...
क्योंकि उसे जाना था 
गन्तव्य तक 
रफ्तार...
क्योंकि 
गार्ड ने 
दे दी थी 
हरी झंडी 
और मैं सुन रहा था 
उसकी छुक छुक में 
वह जीवन-संगीत 
जिसका 
प्रतिपाद्य था 
मिलना- बिछुड़ना
हँसना- रोना 
आना- जाना 
और अंततः 
पहुँचना मंजिल तक।

लेखक: अभिषेक उपाध्याय श्रीमंत
देवराजपुर, सुल्तानपुर, उ.प्र.।

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