हिंदी भाषा राष्ट्रीय एकता की मजबूत कड़ी - Chakradoot

हिंदी भाषा राष्ट्रीय एकता की मजबूत कड़ी - Chakradoot


14 सितंबर हिंदी दिवस विशेष
डॉ सुनील कुमार 
असिस्टेंट प्रोफेसर, जनसंचार एवं पत्रकारिता विभाग
वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर

हिंदी है सबसे प्यारी,
यह है सबको दुलारी।
शब्दों की मिठास है हिंदी,
भारत की खास है हिंदी।"
हिंदी दिवस हर वर्ष 14 सितंबर को उस ऐतिहासिक दिन की याद में मनाया जाता है। जब 1949 में भारतीय संविधान सभा ने हिंदी को भारत की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया। हिंदी मात्र संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति, सभ्यता और राष्ट्रीय एकता की पहचान है। हर वर्ष 14 सितंबर को मनाया जाने वाला हिंदी दिवस केवल एक औपचारिक अवसर नहीं है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक पहचान, राष्ट्रीय एकता और भाषाई गौरव का प्रतीक है। यह केवल बोलने और पढ़ने की भाषा नहीं है। बल्कि यह हमारी संस्कृति,परंपराओं और विचारों का संगम है। मेरा मानना है कि अगर हिंदी को विज्ञान, तकनीक, प्रशासन शिक्षा आदि क्षेत्रों में समान रूप से प्रतिष्ठित किया जाए तो इसका विस्तार पूरे देश में सरलता के साथ हो सकता है। साथ ही वैश्विक स्तर पर यह एक सशक्त भाषा के रूप में उभरेगी। ऐसे में हमलोगों की जिम्मेदारी है कि हिंदी को अपनाए ही नहीं बल्कि इसकी गरिमा को बनाने के साथ-साथ इसे आने वाली पीड़ियों तक संरक्षित करें। हिंदी केवल हमारी भाषा ही नहीं हमारी अस्मिता है। इसलिए हमें अपनी भाषा हिंदी पर गर्व होना चाहिए। 1953 से प्रतिवर्ष मनाए जा रहे इस दिवस का महत्व आज के डिजिटल युग में और भी बढ़ गया है, जब भाषा न केवल सेवा का माध्यम है बल्कि तकनीकी प्रगति और वैश्विक पहचान का आधार भी बन गई है। इस दिन को हिंदी भाषा को सम्मानित करने और उसके प्रचार-प्रसार को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है। 
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संघर्ष से सम्मान तक
14 सितंबर 1949 का दिन भारतीय भाषा इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित है। इस दिन संविधान सभा ने देवनागरी लिपि में लिखी हिंदी को भारत संघ की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया था। यह निर्णय व्यावहारिक आवश्यकता और सांस्कृतिक पहचान के संतुलन का परिणाम था। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महात्मा गांधी ने हिंदी को 'जनभाषा' कहा था। उनका मानना था कि जो भाषा देश की सबसे अधिक जनसंख्या द्वारा समझी जाती हो, वही राष्ट्रभाषा बनने की अधिकारी है। आज जब हम देखते हैं कि हिंदी को 52.83 करोड़ लोग मातृभाषा के रूप में बोलते हैं और लगभग 30 करोड़ अन्य लोग इसे द्वितीय भाषा के रूप में प्रयोग करते हैं, तो गांधी जी की दूरदर्शिता स्पष्ट होती है।
आधुनिक भारत में हिंदी की बढ़ती प्रासंगिकता
1. डिजिटल क्रांति में हिंदी की भूमिका
आज का युग डिजिटल क्रांति का युग है। इंटरनेट पर हिंदी सामग्री में प्रतिवर्ष 94% की वृद्धि हो रही है, जो किसी भी अन्य भारतीय भाषा से कहीं अधिक है। गूगल के अनुसार, भारत में इंटरनेट का प्रयोग करने वाले 42% लोग हिंदी में सर्च करते हैं। यह आंकड़ा दिखाता है कि तकनीकी प्रगति में हिंदी कितनी तेजी से अपना स्थान बना रही है।
उदाहरण के लिए, WhatsApp पर भेजे जाने वाले संदेशों में से 70% हिंदी या हिंदी मिश्रित भाषा में होते हैं। YouTube पर हिंदी सामग्री की खपत अंग्रेजी से भी अधिक हो गई है। ये तथ्य साबित करते हैं कि जनसामान्य अपनी मातृभाषा में ही सहज महसूस करता है।
2. आर्थिक विकास में भाषा की शक्ति
भाषा केवल संवाद का साधन नहीं, बल्कि आर्थिक विकास का भी महत्वपूर्ण कारक है। हिंदी भाषी क्षेत्रों में स्थित उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान जैसे राज्य आज तेजी से औद्योगीकरण की राह पर हैं। नोएडा, गुरुग्राम, पुणे जैसे शहरों में आईटी कंपनियों में हिंदी में काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। एक ठोस उदाहरण देखें तो, 2023 में माइक्रोसाफ्ट ने अपने आफिस सूट में हिंदी एआई  असिस्टेंट लॉन्च किया, जिससे हिंदी भाषी कार्यकर्ताओं की उत्पादकता में 35% तक वृद्धि हुई। इससे स्पष्ट होता है कि मातृभाषा में काम करने से न केवल सहजता आती है बल्कि दक्षता भी बढ़ती है।
वैश्विक मंच पर हिंदी की बढ़ती पहुंच
अंतर्राष्ट्रीय स्वीकृति के उदाहरण
आज हिंदी विश्व की चौथी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। यूनेस्को के अनुसार, 2050 तक हिंदी बोलने वालों की संख्या 65 करोड़ तक पहुंच सकती है। इस प्रक्षेपण के पीछे कई ठोस कारण हैं:
शिक्षा क्षेत्र में विस्तार: अमेरिका की 45 विश्वविद्यालयों में हिंदी विभाग हैं। हार्वर्ड, येल, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में हिंदी के प्रोफेसर हैं। जापान में 27 विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जाती है।
मीडिया का प्रभाव: बॉलीवुड फिल्में 100 से अधिक देशों में रिलीज होती हैं। Netflix, Amazon Prime पर हिंदी सामग्री की मांग तेजी से बढ़ रही है। 'गली बॉय', 'लगान' जैसी फिल्में अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों के लिए नामांकित हुईं।
व्यावसायिक क्षेत्र में हिंदी
अंतर्राष्ट्रीय कंपनियां अब हिंदी बाजार को गंभीरता से ले रही हैं। Amazon का 'Alexa' हिंदी में बात करता है। Google Assistant हिंदी में 1000 से अधिक commands समझता है। McDonald's, KFC, Domino's जैसी कंपनियों ने अपने Indian menus में हिंदी नाम शामिल किए हैं।
चुनौतियां और समाधान
1. अंग्रेजी के वर्चस्व की चुनौती
यह तर्क अक्सर दिया जाता है कि अंग्रेजी ज्ञान-विज्ञान की भाषा है और आधुनिक युग में इसके बिना प्रगति संभव नहीं। परंतु यह धारणा पूर्णतः सही नहीं है। चीन, जापान, जर्मनी, फ्रांस जैसे देशों ने अपनी मातृभाषा में तकनीकी और वैज्ञानिक विकास किया है।
व्यावहारिक समाधान: द्विभाषी शिक्षा प्रणाली अपनाई जा सकती है। जहां बुनियादी शिक्षा मातृभाषा में हो और उच्च शिक्षा में अंग्रेजी को साधन के रूप में प्रयोग किया जाए। फिनलैंड इस मॉडल का सफल उदाहरण है।
2. तकनीकी शब्दावली का अभाव
हिंदी में तकनीकी शब्दावली की कमी एक वास्तविक समस्या है। परंतु यह समस्या असाध्य नहीं है।
समाधान की दिशा: वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली आयोग (CSTT) द्वारा लगातार नए शब्दों का निर्माण किया जा रहा है। 'कंप्यूटर' के लिए 'संगणक', 'टेलीफोन' के लिए 'दूरभाष' जैसे शब्द सफलतापूर्वक प्रचलित हुए हैं।
3. क्षेत्रीय भिन्नता की समस्या
हिंदी के विभिन्न क्षेत्रीय रूप कभी-कभी संवाद में बाधा बनते हैं। परंतु यह विविधता एक समस्या कम, समृद्धता अधिक है।
रचनात्मक समाधान: खड़ी बोली को मानक रूप मानते हुए, क्षेत्रीय बोलियों को सांस्कृतिक धरोहर के रूप में संरक्षित किया जा सकता है। स्कूलों में 'हिंदी की विविधता' को एक विषय के रूप में पढ़ाया जा सकता है।
हिंदी के भविष्य की संभावनाएं
1. कृत्रिम बुद्धिमत्ता में हिंदी
AI और Machine Learning के क्षेत्र में हिंदी की भूमिका तेजी से बढ़ रही है। ChatGPT, Google Bard जैसे AI Tools अब हिंदी में भी काम करते हैं। भविष्य में हिंदी में Voice Commands, Automated Translation, और Smart Home Devices का प्रयोग व्यापक होगा।
2. ई-गवर्नेंस में हिंदी की भूमिका
डिजिटल इंडिया मिशन के तहत सरकारी सेवाओं का डिजिटलीकरण हो रहा है। Common Service Centers पर 80% सेवाएं हिंदी में उपलब्ध हैं। UMANG app में 13 भारतीय भाषाओं में सेवाएं हैं, जिसमें हिंदी सबसे लोकप्रिय है।
3. स्टार्टअप इकोसिस्टम में हिंदी
हिंदी में content creation, digital marketing, e-learning के क्षेत्र में अनगिनत अवसर हैं। Byju's, Unacademy जैसी कंपनियों ने हिंदी content में भारी निवेश किया है। YouTube पर हिंदी channels की earnings अंग्रेजी channels से कई गुना बढ़ रही है।
सुझाव और सिफारिशें
1. शिक्षा व्यवस्था में सुधार
प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में अनिवार्य हो
उच्च शिक्षा में हिंदी माध्यम के विकल्प बढ़ाए जाएं
तकनीकी पुस्तकों का हिंदी अनुवाद प्राथमिकता से हो
2. तकनीकी विकास में सहयोग
हिंदी keyboards और fonts में सुधार
Voice-to-text technology का विकास
हिंदी content creators के लिए विशेष प्रोत्साहन
3. सांस्कृतिक संरक्षण के साथ आधुनिकीकरण
पारंपरिक साहित्य का डिजिटाइजेशन
हिंदी podcasts और audio books को बढ़ावा
सोशल मीडिया पर हिंदी content के लिए विशेष campaigns
भविष्य की दिशा
हिंदी दिवस 2024 के अवसर पर यह स्पष्ट है कि हिंदी केवल एक भाषा नहीं, बल्कि हमारी सामूहिक चेतना का प्रतिबिंब है। यह राष्ट्रीय एकता की धुरी है, आर्थिक विकास का साधन है, और वैश्विक पहचान का आधार है।
आज के डिजिटल युग में हिंदी की स्थिति पहले से कहीं मजबूत है। इंटरनेट, सोशल मीडिया और AI के साथ इसका तालमेल इसकी भविष्य की संभावनाओं को उज्जवल बनाता है। परंतु इसके लिए सिर्फ सरकारी प्रयास पर्याप्त नहीं हैं। समाज के हर वर्ग को आगे आना होगा।
युवाओं को समझना होगा कि हिंदी सीखना प्रगति में बाधा नहीं, बल्कि अतिरिक्त शक्ति है। व्यापारियों को अनुभव करना होगा कि हिंदी में व्यवसाय करना अधिक लाभकारी है। शिक्षकों को महसूस करना होगा कि मातृभाषा में शिक्षा देना अधिक प्रभावी है।
जब हम कहते हैं "हिंदी है हम, वतन है हम", तो यह केवल भावनात्मक उद्गार नहीं है। यह एक व्यावहारिक सच्चाई है कि हिंदी हमारी पहचान है, हमारी शक्ति है, और हमारे भविष्य की आधारशिला है।
इस हिंदी दिवस पर संकल्प लें कि हम अपनी भाषा के प्रति गर्व महसूस करेंगे, इसका सम्मान करेंगे, और इसे आगे बढ़ाने में अपना योगदान देंगे, क्योंकि जैसा कि भारतेंदु हरिश्चंद्र ने कहा था – "निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।" आज यह वाक्य पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक और सत्य है।



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