- फरिश्ता बनकर वानर सेना ने बेटी के पीले कराए हाथ, 15 साल पूर्व पिता का हो गया था निधन
जौनपुर। देवदूत वानर सेना दीन दुखियों, गरीबों और असहाय लोगों की सेवा करके समाज में एक मानवता की मिसाल कायम कर रहा है। जिले में एक बेसहारा बेटी के हाथ पीला कराने में इस सामाजिक संगठन ने शनिवार को एक फरिश्ते की भूमिका निभाई।जनपद के उचनागाव, रामदयालगंज निवासी पूजा सिंह के पिता स्व शोभनाथ सिंह का पंद्रह साल पूर्व निधन हो गया था । माता ने किसी तरह संघर्ष कर परवरिश और शिक्षा दीक्षा को मुकम्मल कराया । बेटी के हाथ पीले करने का समय आने पर आर्थिक तंगी के चलते परिजनों के लिए चुनौती बन गया ।इसके लिए पूजा सिंह ने देवदूत वानर सेना के संरक्षक अजीत सिंह से गुहार लगाई। प्रदेश अध्यक्ष ने अभियान चलाकर सदस्यों के माध्यम से 1.5 लाख नकदी और क़रीब 1.5 लाख के गृहोपयोगी सामान उपहार स्वरूप दिया। पूजा सिंह ख़ुशी- ख़ुशी अपने ससुराल विदा हो गई।
क्षेत्र के लोंगों ने मानवता के इस कार्य की जमकर सराहना की है। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि असहायों व जरूरतमंदों की सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है। जिनके हाथ हमेशा गरीबों, दीन-दुखियों की भलाई के लिए उठते हैं सचमुच में वही सच्चे इंसान कहलाने के हकदार हैं। अपने व अहने परिवार व सगे- संबंधियों के लिए तो सभी जीते हैं लेकिन निस्वार्थ भाव से जो परहित का काम करते हैं उन्हीं का जीवन सार्थक होता है। परोपकार से बढ़कर इस दुनिया में दूसरा कोई धर्म नहीं है। गरीबों की सेवा में ही ईश्वर बसते हैं। असहायों व जरूरतमंदों की सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है। जिनके हाथ हमेशा गरीबों, दीन-दुखियों की भलाई के लिए उठते हैं सचमुच में वही सच्चे इंसान कहलाने के हकदार हैं। अपने परिवार व सगे- संबंधियों के लिए तो सभी जीते हैं लेकिन निस्वार्थ भाव से जो परहित का काम करते हैं उन्हीं का जीवन सार्थक होता है। परोपकार से बढ़कर इस दुनिया में दूसरा कोई धर्म नहीं है। गरीबों की सेवा में ही ईश्वर बसते हैं। प्रदेश अध्यक्ष ने अन्य परोपकारी लोगों व संगठनों से ऐसे परोपकार के कार्य के लिए आगे आने का आह्वान किया। डॉ. सिंह ने बताया कि वानर सेना पूरे भारत में देवदूत बनकर लोगों की मदद के लिए पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है जो लोगों की भलाई के लिए अनवरत कार्य कर रही है। उक्त गांव में कन्या के पिता शोभनाथ सिंह का 15 साल पूर्व निधन हो गया था। माता ने किसी तरह संघर्ष कर परवरिश और शिक्षा- दीक्षा को पूरी कराया। बेटी के हाथ पीले करने का समय आने पर आर्थिक तंगी के चलते परिजनों के लिए शादी करना चुनौती बन गया।
0 टिप्पणियाँ