आदिशक्ति, परम भगवती ,विश्व माता ,परम सनातनी देवी, राजराजेश्वरी,मां दुर्गा जी के अनेक साभिप्राय नाम है -चंडिका, भवानी, कुमारी, कल्याणी, सिंह वाहिनी, कामाक्षी सुभद्रा, महागौरी, कालिका, शिवा, सती, साध्वी, भव प्रीता, शूलधारिणी, पिनाक धारिणी, चंद्रघंटा, महातपा, मन बुद्धि चित्त रूपिणी सर्वमंत्रयी, सत्यानंदरूपिणी, अनंता, भाविनी, भव्या, अभव्या, शांभवी, देव माता सर्व विद्या रत्न प्रिया दक्ष कन्या आदि ऐसे कई नाम है जो दुर्गा की आराधना में प्रयुक्त होते हैं।
शारदीय नवरात्र की पावन बेला में दुर्गा के नौ रूपों की नवदिवसीय आराधना का बहुत बड़ा पुण्य है जिससे मनुष्य का दोनों लोक(लोक -परलोक) संवरता है। दुर्गा सप्तशती और देवी भागवत के अनुसार देवी का यह अमर उद्घोष है कि जब-जब आसुरी शक्तियां सांसारिक संरचना और गतिविधि में बाधा उत्पन्न करेंगी , तब तक उसके संहार और धर्म के संवर्धन हेतु मैं बार-बार अवतार लूंगीऔर इसी हेतु शुम्भ -निशुंभ, मधु कैटभ चंडमुंड रक्त बीज आदि राक्षसों का विनाश करने के लिए समय-समय पर मां भगवती को अवतार लेना पड़ा है।
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प्रेमनाथ सिंह चंदेल |
नवरात्रियों का समाहार नवरात्रि में शाक्त संप्रदाय की मुख्य देवी दुर्गा के नव रूपों का नव नामों क्रमशः शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालि रात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री से पूजन का विधान है। यह सभी देवियां क्रमशः मूलाधार ,स्वाधिष्ठान, मणिपुरचक्र, हृदय चक्र ,अनाहत चक्र, विशुद्ध चक्र, आज्ञा चक्र और सहस्रार चक्र में निवास करती हुई भक्तों के भीतर की अविद्या को दूर करके उनके अंत स्थल को ज्ञान की अलौकिक ज्योति से ज्योतिर्मय करती हैं।
नवरात्रि पूजन की शुरुआत गिरवर राज हिमालय की तनया , भगवान शंकर के मुख चंद्र की चकोरी, गज बदन गणेश और कार्तिकेय की माता, बिजली के समान शारीरिक आभा वाली शैलपुत्री से ही मंगलाशा की जाती है -
जय जय गिरवर राज किसोरी।
जय महेश मुख चंद्र चकोरी।।
जय गज बदन षडानन माता।
जगत जननि दामिनी दुति गाता।
नहिं तव आदि मध्य अवसाना।
अमित प्रभाउ बेद नहिं जाना।।
भव भव विभव पराभव कारिनि।
विश्व विमोहिनि स्ववस विहारिनि।।
ऐसी महेश प्रिया नवरात्रि की नौ दिनों में 9 नामों से पूजी जाती है। शक्ति की आराधना के इन पवित्र दिनों में साधक की आस्था और विश्वास के परिणाम स्वरूप "जेहि की रही भावना जैसी "के अनुसार अनुरूप आशाएं फली भूत होती है। मेरी तरफ से कनक कलेवर पर रक्ताम्बर,गले में रक्त पुष्पों का मनोहर सुमन माल, करोड़ों चंद्र -दिवाकर के समान ज्योतिर्मान नासग्रेमोती और कर्ण कुंडल, खड्ग और खप्पर से सुशोभित केहरि वाहना माता रानी के भक्तों के सर्व मंगल की हार्दिक शुभेच्छा के साथ माता के श्री चरणों में कोटिश: नमन -
सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके,
शरण्ये त्रयंबकम् गौरी नारायणि नमोस्तुते।
....... प्रेमनाथ सिंह चंदेल (संगीत शिक्षक)
श्री गांधी स्मारक इंटर कॉलेज समोधपुर जौनपुर।
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