पर्व पर आनंद मनाऊं कैसे ?
देखा था रोशनी जिन अपनों संग,
बिछुड़ उनसे दीप जलाऊं कैसे ?
रूठे बैठे है जो अपने सगे संबंधी,
बिन उनके मैं तिमिर हटाऊं कैसे ?
रिश्तों में उपहार साथ मिला था,
रस्म निभाने का बात मिला था।
जिनसे जन्मों का साथ मिला था ।।
फिर उनके बिन पर्व मनाऊं कैसे ?
मेरे अपने मुझसे मुख मोड़ बैठे है,
फिर गौरों संग दीप जलाऊं कैसे ?
त्योहारों पर छूटा यदि साथ अपना,
तो इस पर्व पर आनंद मनाऊं कैसे ?
अंकुर सिंह
हरदासीपुर, चंदवक
जौनपुर, उ. प्र. -222129.
0 टिप्पणियाँ