- परिजन के चेहरे पर लौटी मुस्कान, डा. मंजू की कर रहे प्रशंसा
- बंशराजी मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल की नवजात शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञ की मेहनत लायी रंग
जौनपुर। शहर के नईगंज स्थित बंशराजी मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल की जानी-मानी नवजात शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञ डा. मंजू यादव ने एक और ऐसे बच्चे को जीवनदान दिया है जिसे कई चिकित्सक रेफर कर चुके थे। अस्पताल में जीवन एवं मृत्यु की अंतिम सांस के समय पहुंचे मरीज को मात्र 10 दिन में ठीक कर बीते शनिवार को अस्पताल से छुट्टी कर घर भेज दिया गया। उनकी इस उपलब्धि से घर के सदस्यों में खुशी का माहौल छा गया। वह एक-दूसरे से डा. मंजू की प्रशंसा करते नहीं थक रहे हैं।
बता दें कि जनपद के पवारा स्थित नाथूपुर गांव निवासी रंजीत के 2 वर्षीय पुत्र जिगर की बीते कई दिन पहले अचानक तबियत बिगड़ गयी। उसके पेट में दर्द होने के साथ आंखें पलट गयीं और गर्दन भी झूल गया। आनन-फानन में उसे स्थानीय चिकित्सक के पास ले जाया गया परन्तु आराम नहीं मिला। बाद में उसकी हालत और बिगड़ गयी। तत्पश्चात जिला मुख्यालय ले जाया गया जहां पर बारी-बारी से कई बाल रोग विशेषज्ञों को दिखाया गया लेकिन सभी उसकी नाजुक स्थिति देख रेफर करते चले गये। पूरे दिन कलेजे के टुकड़े को सीने से लगाकर उपचार के लिये दर-दर भटक रहा पिता शाम होते-होते उसकी जिन्दगी से निराश हो गया। बाद में किसी के कहने पर बंशराजी हॉस्पिटल नईगंज ले जाकर डा. मंजू यादव को दिखाया। उस समय मस्तिष्क ज्वर के साथ उसे झटके आ रहे थे। नब्ज नहीं मिल रही थी। ब्लड एवं प्लेटलेट्स भी कम था। इस प्रकार वह कई गम्भीर बीमारियों के चलते जीवन की आखिरी सांस ले रहा था।
परिजन की दशा एवं बच्चे की बिगड़ी हालत देख डा. मंजू ने बिना देर किये भर्ती कर बच्चे को वेन्टीलेटर पर रख दिया। दो बार उसे ब्लड चढ़ाया गया। उपचार से थोड़ा आराम मिलने पर 3 दिन बाद सीपैप पर रखा गया। 5 दिनों तक चले उपचार से 6वें दिन उसने आंखे खोल दिया जिसके बाद ऑक्सीजन पर रखा गया। तत्पश्चात उसकी हालत में तेजी से सुधार होने लगा। मां का दूध पीने के साथ वह बिस्किट भी खाने लगा। पूरी तरह स्वस्थ होने पर शनिवार को उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी। सामान्य चेकिंग के लिये 5 दिन बाद पुनः बुलाया गया। जीवन की अंतिम सांस गिनते वक्त अस्पताल में पहुंचे परिजन बालक की गूंजती किलकारी और होठों पर मुस्कान के बीच जब हॉस्पिटल से निकल रहे थे, उस समय उनके चेहरे की खुशी देखते ही बन रही थी। परिजन डा. मंजू की प्रशंसा करते नजर आये।
इस बाबत पूछे जाने पर डा. मंजू यादव ने बताया कि बच्चा जब मेरे पास आया तब बहुत गम्भीर था। थोड़ा और विलम्ब हुआ होता तो शायद उसकी जान भी न बच पाती। आजकल बच्चों में मस्तिष्क ज्वर तेजी से फैल रहा है। अगर यह दिमाग पर चढ़ जाता है तो घातक हो जाता है। परिजन को सलाह दिया कि इस तरह की बीमारी में लापरवाही कतई न करें तुरन्त चिकित्सक को दिखायें। मच्छरों से बचने के लिये घरों के आस-पास गंदा पानी न एकत्र होने दें। घर में साफ-सफाई का ध्यान रखें। सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग अवश्य करें। अगर इसके बावजूद बच्चों में कोई परेशानी दिखे तो इधर-उधर भागदौड़ न कर अच्छे चिकित्सक को दिखायें। उम्मीद से ज्यादा लाभ होगा।
बच्चे के उपचार में गोल्ड मेडलिस्ट डा. मंजू यादव के अलावा अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डा. अवधेश यादव, राजा भैया, मुलायम सिंह यादव, राम अवध यादव, अद्विविका यादव, जितेन्द्र निषाद, प्रमोद यादव, रानी, गूंजा, काजल यादव, सोनी, रोशनी, संदीप, विकास, काजल चौहान, शुभम आदि का विशेष सहयोग रहा।
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