जौनपुर। जौनपुर की 8वीं मुहर्रम का ऐतिहासिक 200 साल पुराना जुलूस इमाम बारगाह मरहूम नाज़िम अली खां से उठकर सहन इमाम हुसैन इमामबाड़ा शेख इल्तेफाक हुसैन राजा बाजार अटाला मस्जिद पहुंचकर समाप्त हुआ। इसमें शामिल शहर की 20 से ज़्यादा अंजुमनों ने नौहा व मातम करके कर्बला के शहीदों को नज़राने अकीदत पेश किया। सबसे पहले सोज़खानी पेश हुआ।
नज़र वकील, गौहर जैदी, हुसैनी और उनके हमनवा ने सोज़खानी के बाद मजलिस को खेताब किया। मौलाना डा. सै. कल्बे रज़ा क़िब्ला साइंटिस्ट्स डी.आर.डी.ओ ग्वालियर ने मजलिस को सम्बोधित करते हुए कहा कि इमाम हुसैन ने कर्बला के मैदान में उस समय के सबसे बड़े आतंकवाद के खिलाफ आवाज़ उठाकर न सिर्फ अपना भरा—पूरा परिवार कुर्बान कर दिया, बल्कि आज जो इस्लाम ज़िंदा है, वह उनकी शहादत के दम पर ही है।
मजलिस के बाद ज़ुल्जनाह अली असगर अoसo का झूला बरामद हुआ जहां बड़ी संख्या में जायरीन मौजूद रहे। शहर की तमाम अंजुमनों ने नौहा मातम, जंजीर करती करते हुये आगे बढ़ते रहे। जगह—जगह पानी और शरबत, सबील का भी इन्तेज़ाम था। जुलूस में आलाधिकारी पुलिस बल भी सुरक्षा कि व्यवस्था में लगे रहे। अन्त में इमामबाड़ा शेख इल्तेफाक हुसैन मुतवल्ली दुल्लर मेंहदी, अफ़रोज़ मेंहदी, फिरदौस मेंहदी आदि ने प्रशासन के सहयोग का धन्यवाद दिया।
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