जौनपुर: व्रती महिलाओं ने डूबते सूर्य को दिया पहला अर्घ्य




🔸परिवार की खुशहाली और दीर्घायु के लिए मांगी मन्नतें

🔸छठ मैया के गीतों से आसपास का इलाका हुआ भक्तिमय

जौनपुर। तीन दिवसीय छठ पूजा के तीसरे दिन व्रती महिलाओं ने दिनभर निर्जला व्रत रखकर डूबते सूर्य को पहला अघ्र्य दिया। हलांकि महिलाएं गाजे बाजे के साथ गोमती नदी के विभिन्न घाटों पर पहुंचकर विधि विधान से पूजा पाठ करके गोमती नदी के किनारे पानी में खड़े होकर डूबते सूर्य को पहला अघ्र्य देने के लिए इंतजार करती रहीं। जैसे ही सूर्य की लालिमा दिखाई दी वैसे ही सूर्य को गाय के दूध से व गंगा जल से अघ्र्य दिया। और परिवार की कुशलता के लिए मन्नतें मांगी। कुछ व्रती महिलाओं ने ब्रााहृणों के माध्यम से अघ्र्य दिया तो कुछ महिलाओं ने अपने पुऋ के द्वारा अघ्र्य दिया। विसर्जन घाट पर छठ महोत्सव का भी भव्य कार्यक्रम चल रहा है। छठी मैया के गीतों से आस पास का इलाका पूरी तरह से भक्तिमय हो गया है।
सद्भावना पुल व शाही पुल पर भव्य सजावट की गई है। अघ्र्य के दृश्य को देखने के लिए दोनों पुलों पर भक्तों की लंबी कतारें देखने को मिलीं। अर्घ्य देने के बाद महिलाएं छठ मैया के गीत गाती हुर्इं अपने घरों को चलीं गर्इं और रातभर दीपक जलाकर भोर होने का इंतजार करती रहेगीं। सुबह के चार बजे भोर में गाजे बाजे के साथ घाट पर पहुंचकर उगते सूर्य को दूसरा अघ्र्य देने का इंतजार करेगीं। दूसरा अघ्र्य के साथ ही तीन दिवसीय पर्व का समापन हो जायेगा। बताते चलें कि यह पर्व बहुत ही पवित्रता और संकट का पर्व हैं। बताते चलें कि छठ पूजा का तीसरा दिन बहुत खास होता है। पंचांग के अनुसार हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष के खष्ठी तिथि को छठ पर्व मनाया जाता है लेकिन इसे दो दिन पहले यानी चतुर्थी तिथि को नहाये खाये के साथ छठ पूजा की शुरूआत हो जाती है। अघ्र्य देने के दौरान महिलाएं अपने बच्चांे की लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं।


छठी माता और सूर्य देव से घर में सुख समृद्धि की मांग करती हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से छठी माता व्रत रखने वाली महिलाओं के परिवार और संतान को लंबी आयु और सुख समृद्धि का वरदान देती हैं। उधर पुलिस प्रशासन ने यातायात व्यवस्था को चाकचौबंद कर रखा था जिससे घाट पर जाने वाले श्रद्धालुओं को आवागमन में किसी प्रकार की समस्या न हो। मुख्य मार्ग से चार पहिया वाहनों का आगमन प्रतिबंधित कर दिया था। इस अद्भुत नजारे को देखने के लिए गोमती नदी के अधिकांश घाटों पर भक्तों की अच्छी खासी भीड़ देखने को मिली। 


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