🔸क्रोध से होता है मनुष्य के ज्ञान का क्षय : प्रो. अविनाश पाथर्डीकर
🔸तनाव से बचने के लिए मुस्कुराए: राजेंद्र प्रताप सिंह
🔸'तनाव प्रबंधन में योग की भूमिका' विषय पर वेबिनार
रामनरेश प्रजापति
जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय में नव स्थापित नशा मुक्त एवं पुनर्वास केंद्र द्वारा 'मिशन ड्रग फ्री कैंपस एंड सोसाइटी' के तहत नशा मुक्ति हेतु मनाए जाने वाले जन जागरूकता पखवाड़ा कार्यक्रम के अंतर्गत बृहस्पतिवार को 'तनाव प्रबंधन में योग की भूमिका' विषय पर एक ई-कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कार्यशाला में बतौर मुख्य वक्ता नैदानिक मनोवैज्ञानिक पायल जायसवाल ने कहा कि हमें नकारात्मक चीजों के लिए इनकार करना सीखना होगा। उन्होंने अवसाद और उसके प्रकार, प्रभाव और उससे बचने के लिए प्रयुक्त होने वाले विभिन्न युक्तियों के साथ ही साथ किस प्रकार से योग के विभिन्न मुद्राएं जैसे हठ योग, योग निद्रा, प्राणायाम, नाड़ी शोधन इत्यादि के प्रभाव को इस क्षेत्र में होने वाले नवीनतम शोध के माध्यम से बताया।
उन्होंने कहा कि हमें अवसाद से बचने के लिए खुद को नकारात्मकता से दूर रखना चाहिए, और योग उसका सर्वोत्तम माध्यम है । कार्यशाला के द्वितीय वक्ता के रूप में आर्ट ऑफ लिविंग के योग प्रशिक्षक राजेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि मुस्कुराने से चेहरे की 32 मांसपेशियां का क्रियान्वयन होता है, जिससे हमारे चेहरे का निखार बढ़ता है।
उन्होंने तनाव से खुद को बचाने हेतु प्रयुक्त होने वाले कुछ योगासनो को प्रतिभागियों को करके भी दिखाएं तथा अभ्यास कराया। इसके साथ ही साथ इन योगआसनों से होने वाले विभिन्न लाभों को अभ्यास के साथ-साथ बताया। कार्यशाला की अध्यक्षता कर रहे प्रो. अविनाश पाथर्डीकर ने कहा कि क्रोध से मनुष्य के ज्ञान का क्षय होता है।
अत्यधिक क्रोध करने से इंसान को मानसिक बीमारियों का भी सामना करना पड़ता है। उन्होंने वेदों में वर्णित विभिन्न युक्तियों का उदाहरण लेते हुए तनाव में योग की भूमिका पर प्रकाश डाला। इस मौके पर छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. अजय द्विवेदी ने कहा कि हमें अपने मूल से अलग नहीं होना चाहिए। हम जब भी अपने मूल और मूल्य से अलग होते है, तो यह हमें तनाव देता है।
संचालन व्यवहारिक मनोविज्ञान की छात्रा हिदायत फातिमा ने की और धन्यवाद ज्ञापन इस अभियान के समन्वयक डॉ. मनोज कुमार पाण्डेय ने किया।
इस अवसर पर प्रो. विक्रम देव शर्मा, डॉ कुमुद श्रीवास्तव, सैनट थॉमस, अवनीश विश्वकर्मा सहित विश्वविद्यालय एवं सम्बद्ध महाविद्यालयों के छात्रों ने बड़ी मात्रा में प्रतिभाग किया तथा इस महत्वपूर्ण, समसामयिक विषय पर विशेषज्ञों से ज्ञान एवं प्रशिक्षण प्राप्त किया।
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