कविता: दर्द ही अपना है
सही मायने में दर्द ही अपना है,
हिस्सेदार नहीं मिलते जमाने में।
खुद झेलने का हौसला रखिए,
न पड़ें किसी को आजमाने में।
समय भर ही देगा जख्म सभी
भला नहीं औरों को दिखाने में।
उम्मीदें सदा कमजोर करती हैं,
जुटो खुद को मजबूत बनाने में।
दर्द सहने की पड़ गई आदत तो
डरोगे नहीं कदम आगे बढ़ाने में।
आत्मविश्वास है सबसे बड़ी पूंजी
ढूंढे न मिलेगी किसी खजाने में।
हितेश सिंह
वरिष्ठ पत्रकार एवं कवि
गोपालपुर सरायख्वाजा, करौंदीकला, सुल्तानपुर।
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