जौनपुर। प्रतिभा, परिश्रम और प्रतिबद्धता जब एक साथ चलते हैं तो सफलता अपने आप कदम चूमती है। जौनपुर की होनहार बेटी डॉ. ममता मौर्य ने कुछ ऐसा ही कर दिखाया है। कम उम्र में ही आयुर्वेद चिकित्सा के क्षेत्र में उन्होंने जो मुकाम हासिल किया है, वह न केवल उनके परिवार बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए गर्व का विषय है।
डॉ. ममता मौर्य नगर के लखनपुर गांव निवासी डॉ. लालजी मौर्य एवं मान्ती मौर्य की सुपुत्री हैं। प्रारम्भ से ही मेधावी रहीं ममता ने एनईईटी परीक्षा में सफलता प्राप्त करके भोपाल मध्य प्रदेश स्थित श्री साईं इन्स्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेदिक रिसर्च एण्ड मेडिसिन में आयुर्वेद चिकित्सा की पढ़ाई शुरू की।
अभ्यास के साथ लेखन में भी पारम्गत डॉ. ममता ने स्नातक की पढ़ाई पूरी होने से पहले ही दो उपयोगी पुस्तकें लिख डालीं जो आयुर्वेद के चिकित्सा छात्रों के साथ एलोपैथी एवं होम्योपैथी के छात्रों और नवोदित चिकित्सकों के लिए अत्यंत लाभकारी साबित हो रही है। इसके अलावा उन्होंने कई प्रतिष्ठित राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय जर्नल्स में अपने शोध लेख प्रकाशित कराया जिससे उनकी अकादमिक साख और भी मजबूत हुई है।
डॉ. ममता ने विभिन्न राष्ट्रीय सेमिनारों और कार्यशालाओं में भी सक्रिय भागीदारी निभाई है जहां उन्होंने अपने शोध पत्र व पोस्टर प्रस्तुत किए, जिन्हें विशेषज्ञों से विशेष सराहना प्राप्त हुई। साथ ही वे पिछले एक वर्ष से नियमित क्लीनिकल प्रैक्टिस में भी संलग्न हैं जिससे उनका व्यावहारिक अनुभव भी गहराता जा रहा है।
इस बाबत पूछे जाने पर वह अपनी सफलता का श्रेय वे अपने माता-पिता, गुरुजनों और मार्गदर्शकों को देती हैं। उनका मानना है, "सही मार्गदर्शन, आत्मविश्वास और कठोर परिश्रम ही किसी भी सफलता की सच्ची कुंजी होते हैं।" आज की युवा पीढ़ी के लिए डॉ. ममता मौर्य एक प्रेरणा बनकर उभरी हैं। उन्होंने यह सिद्ध कर दिया है कि जब इरादे मजबूत हों और दिशा स्पष्ट हो तो कोई भी मंज़िल दूर नहीं होती।
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