- बेटियों को भी आगे बढ़ने के लिए मिलना चाहिए अवसर
- शुचि को मिल चुका है सिंगापुर का प्रसिद्ध प्रथम पुरस्कार
जौनपुर। युवा कवियित्री शुचि मिश्रा हिंदी साहित्य के क्षेत्र में जिले का नाम रोशन कर रही हैं। तेजीबाजार क्षेत्र के मितावां गॉव निवासी युवा कवियित्री शुचि मिश्रा ने अपनी प्रतिभा की बदौलत देश ही नही बल्कि विदेश में भी कामयाबी का परचम लहराने का काम किया है। जिसके लिए शुचि मिश्रा को सिंगापुर के प्रसिध्द कविताई प्रथम पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। शुचि ने कहा कि बेटियों को कभी भी रोकना नही चाहिए, उन्हें शिक्षित बनाने व आगे बढ़ने में उनके माता-पिता की तरह हर बेटी के माता-पिता को आगे आना चाहिए। दरअसल, युवा कवियित्री शुचि मिश्रा बक्शा विकास क्षेत्र के मितावां गांव निवासी पेशे से अधिवक्ता अशोक मिश्र की सबसे छोटी बेटी हैं। उनके दादा कोलकाता में शिक्षा सदन स्कूल के प्राचार्य रहे हैं। शुचि ने पेशे से शिक्षक अपने मामा की लाइब्रोरी से किताबें पढ़कर कविता लिखने की शुरु आत की। उन्होंने अपनी प्रतिभा की बदौलत हिंदी साहित्य के क्षेत्र में बेहद कम समय मे ही बड़ा मुकाम हासिल करने का काम किया। बेटी की इस कामयाबी से परिवार रिस्तेदार ही नही बल्कि जिले के लोग भी गौरवांवित महसूस करते है।
शुचि मिश्रा अपनी प्रतिभा से सिंगापुर तक देश का नाम रोशन करने का काम कर चुकी हैं। सिंगापुर तक अपनी प्रतिभा से जिले देश का नाम रोशन करने वाली जौनपुर की युवा कवियित्री शुचि मिश्रा का जन्म 20 अक्टूबर 1995 को मितावां गांव में हुआ। उनकी आरंभिक शिक्षा घर व उच्च शिक्षा प्राथमिक विद्यालय मयन्दीपुर से हुई। इसके बाद शुचि ने हिंदी में स्नातकोत्तर तक डिग्री हासिल किया, फिलहाल वह अभी हिंदी साहित्य में शोध कर रही हैं। उन्होंने बताया कि उनके माता-पिता ने कभी भी बेटे-बेटी में कोई भेदभाव नहीं किया। उन्हें परिवार का हमेशा भरपूर सहयोग मिलता है।
उन्होंने कहा कि किसी भी माता-पिता को कभी भी बेटे और बेटियों में किसी तरह का कोई भेदभाव नही करना चाहिए, बेटियों को भी बेटों की तरह अवसर देकर उन्हें शिक्षित बनाना चाहिए, ताकि बेटियां भी घर-परिवार, समाज व देश के लिए कुछ कर सकें। हिंदी साहित्य के क्षेत्र में युवा कवियित्री शुचि मिश्रा का बेहद रु झान रहा। जिसके फलस्वरूप बेहद कम उम्र में ही साक्षात्कार, वागर्थ, बहुमत, युग तेवर, अट्ठहास, आकंठ, दुनिया इन दिनों, इलेक्ट्रॉनिकी आपके लिए, विज्ञान प्रगति सहित कई पत्र-पत्रिकाओं में शुचि की रचनाएं प्रकाशित हुर्इं। वि·ारंग महोत्सव के साथ ही अन्य साहित्यिक गतिविधियों में जौनपुर की बेटी की सक्रिय भागीदारी रही। साहित्य के अलावा विज्ञान के क्षेत्र में भी शुचि मिश्रा की गहरी रु चि रही जिससे उन्होंने अल्बर्ट आइंस्टाइन, जगदीश चंद्र बसु और सत्यनाथ बोस पर लेखन का कार्य किया। शुचि को साहित्य के क्षेत्र में अबतक देश से लेकर विदेश तक अनेकों पुरस्कार मिल चुके हैं। ''पृथ्वी झुकी है'' कविता पर शुचि मिश्रा को सिंगापुर का प्रसिद्ध कविताई पुरस्कार मिल चुका है। इसमे देश-विदेश के बड़े-बड़े कवियों व रचनाकारों ने प्रतिभाग किया था।
जिसमे शुचि को प्रथम स्थान प्राप्त करने पर उन्हें इस सम्मान से पुरस्कृत किया गया था।
इसके अलावा, अभी कुछ दिनों पूर्व उन्हें रविन्द्र नाथ टैगोर वि·ाविद्यालय, भोपाल द्वारा आयोजित वि·ारंग कार्यकम के अंतर्गत विज्ञान पर्व में प्रथम स्थान प्राप्त करने पर सर सीवी रमन युवा विज्ञान कविता पुरस्कार से नवाजा गया है। जिसमे उन्हें ग्यारह हजार रूपये नकद पुरस्कार स्वरूप मिले हैं। युवा कवियित्री शुचि मिश्रा को विज्ञान प्रसार दिल्ली की ओर से बिलासपुर में आयोजित विज्ञान कवि सम्मेलन में भी प्रथम स्थान प्राप्त करने पर सम्मानित किया जा चुका हैं। इसके अलावा दर्जनों से अधिक अवार्ड उन्हें मिल चुके है। उन्होंने अपनी कामयाबी का श्रेय माता-पिता को देते हुए बताया कि उन्हें यहां तक पहुँचने में सबसे बड़ा योगदान उनके माता-पिता और गुरु जनों का है। उन्होंने बताया कि आज के समाज मे लोग अभी भी लड़कियों को घर से बाहर भेजने व उन्हें कुछ करने देने से डरते है। लेकिन उनके माता-पिता की तरफ से उन्हें इसके लिए किसी तरह से रोका-टोका नही गया। बल्कि हमेशा उनके माता-पिता उनपर भरोसा करके उनका साथ देते हैं। शुचि ने कहा कि हिंदी साहित्य के क्षेत्र में वह आगे भी अच्छा कार्य करके अपने माता-पिता, गांव, जिले व देश का मान बढ़ाने का काम करती रहेंगी। जिले की बेटी की इस प्रतिभा को देखकर हर कोई शुचि के उज्ज्वल भविष्य के लिए कामना करते हुए उन्हें बधाईयां दे रहा है।
0 टिप्पणियाँ