मुझे क्या काम महकशी का सनम- Chakradoot


मुझे क्या काम महकशी का सनम
हर घड़ी तिरी नज़रो का असर रहता है
उजड़ गया परिंदो का घर जबसे
सुखा सुखा एक शजर रहता है
दरिया सुख गया बरिशों के लिए
इक बादल अब भी बेखबर रहता है
ठहरा तेरी जुदाई का गम है मुझमे कही
बाकी कोई और गम अब बेअसर रहता है
सबका मतलब है अपना अपना कुछ
ज़रूरत में साथ कोई कब रहता है
- विवेक दमर

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