सुइथाकला, जौनपुर। भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का पावन पर्व रक्षाबंधन का भारत देश में विशेष महत्व है। भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन के पर्व में बहनें अपने भाइयों की कलाई में राखी बांधकर अपनी रक्षा का वचन मांगती हैं तथा भाई की लम्बी आयु और उनके सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। इस वर्ष रक्षाबंधन को लेकर लोगों में सन्देह की स्थिति पैदा हो गयी है।
इस आशय की जानकारी देते हुये डा. प्रदीप दूबे ने बताया कि शास्त्रोक्त तथ्यों के आधार पर इस बार रक्षाबंधन 11 अगस्त दिन गुरुवार को ही मनाना श्रेयस्कर होगा। धर्म सिन्धु के अनुसार श्रावण शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को सूर्योदय से तीन मुहुर्त से अधिक व्याप्त तिथि में भद्रा रहित अपराह्न या प्रदोष काल में रक्षाबंधन करना चाहिये। उन्होंने बताया कि यदि सूर्योदय काल से पूर्णिमा तिथि तीन मुहुर्त से कम समय में हो तो पूर्व दिन भद्रा रहित प्रदोष काल में रक्षाबंधन करने का विधान है।
12 अगस्त दिन शुक्रवार को पूर्णिमा तिथि का मान प्रातः 7 बजकर 16 मिनट तक है जो सूर्योदय काल 5.30 से त्रि मुहुर्त अल्प होने के कारण निषिद्ध है। डा. दूबे ने बताया कि 11 अगस्त गुरूवार को पूर्णिमा तिथि अपराह्न काल में भद्रा होने के कारण रात्रि 8 बजकर 25 मिनट के उपरान्त रक्षाबंधन करना शास्त्रीय परम्परा के अनुरूप उचित है। कुल मिलाकर रक्षाबंधन रात्रि में किया जा सकता है परन्तु प्रतिपदा में नहीं करना चाहिये।

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