- वेब की दुनिया में मजबूती से खड़ी है हिन्दी पत्रकारिता: डॉ. धनन्जय
- पूर्वांचल विश्वविद्यालय में 'डिजिटल दौर में हिन्दी पत्रकारिता' विषय पर हुई परिचर्चा
जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग द्वारा हिंदी दिवस के अवसर पर 'डिजिटल दौर में हिंदी पत्रकारिता' विषय पर एक ऑनलाइन परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस परिचर्चा में मीडिया अध्ययन से जुड़े विशेषज्ञों ने हिंदी पत्रकारिता के विविध आयामों पर विस्तार से चर्चा की। बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय लखनऊ के पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष प्रो. गोविन्द पाण्डेय ने कहा कि जब किसी क्षेत्र में तकनीकी का प्रवेश होता है तो वह बदलाव लाती है।
तकनीकी के कारण हिंदी पत्रकारिता में भी बहुत से बदलाव हुए है। हिन्दी पत्रकारिता ने समय-समय पर रूप बदला। समाचार पत्र के पाठक पढ़े-लिखे थे, टेलीविजन के आने के बाद बिना पढ़े-लिखे लोगों से भी हिन्दी पत्रकारिता सीधे जुड़ी। हिंदी पत्रकारिता समाचार पत्रों, रेडियो से होती हुई टेलीविजन से जुड़ी और आज डिजिटल होकर खूब फल फूल रही है। आज डिजिटल दौर में हिन्दी पत्रकारिता से जुड़े लोगों को नई तकनीकों को व्यवहार में लाना होगा।
उन्होंने हिन्दी पत्रकारिता में तकनीकी के विकास पर विस्तार से चर्चा की। पूर्व पत्रकार, प्रख्यात लेखक इलाहाबाद विश्वविद्यालय के शिक्षक डॉ. धनञ्जय चोपड़ा ने कहा कि हिंदी पत्रकारिता भारतीय परंपरा को साथ लेकर चल रही है। कृत्रिम बुद्धिमता के इस दौर में हिंदी पत्रकारिता ने सरोकार, संस्कृति और संस्कार को नहीं छोड़ा है। उन्होंने कहा कि हिंदी पत्रकारिता वेब की दुनिया में मजबूती से खड़ी है।
हिंदी के एप तेजी से डाउनलोड किये जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय, प्रयागराज के पत्रकारिता विभाग की सहायक आचार्य डॉ. साधना श्रीवास्तव ने कहा कि समाचार पत्रों के साथ-साथ वेब और एप पर खबरों को पढ़ने का दौर चल रहा है। इस समय हिंदी पत्रकारिता नए कलेवर में है। कार्यक्रम की अध्यक्षता जनसंचार विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. मनोज मिश्र ने किया। संचालन एवं संयोजन डॉ. दिग्विजय सिंह राठौर ने किया। आमंत्रित वक्ताओं का धन्यवाद ज्ञापन डॉ. सुनील कुमार ने किया।
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